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भारत-पाकिस्तान तनाव का शेयर बाजार पर प्रभाव

पहलगाम हमले के बाद भारतीय शेयर बाजार में अस्थिरता देखी गई। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स 588 अंक (0.74%) गिरकर 79,212 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी50 में भी मामूली गिरावट दर्ज की गई। दूसरी ओर, पाकिस्तान का कराची स्टॉक एक्सचेंज (KSE-100) और भी गहरी गिरावट का शिकार हुआ, जो तीन दिनों में लगभग 4,000 अंक लुढ़क गया। गुरुवार को KSE-100 इंडेक्स 2.12% गिरकर 114,740.29 पर आ गया। यह गिरावट भारत की कूटनीतिक सख्ती और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा पाकिस्तान की विकास दर को 2.6% तक घटाने के कारण और तेज हुई।

भारतीय बाजार में गिरावट सीमित रही, क्योंकि भारत की मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था और विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि (18 अप्रैल 2025 तक 686.15 अरब डॉलर) ने इसे सहारा दिया। इसके विपरीत, पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में 226 मिलियन डॉलर की कमी आई, जिससे निवेशकों का भरोसा डगमगाया।

 

डिफेंस सेक्टर: भारत में डिफेंस स्टॉक्स, जैसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), में 10% तक की तेजी देखी गई। भू-राजनीतिक तनाव के बीच रक्षा खर्च में वृद्धि की संभावना ने इन शेयरों को आकर्षक बनाया।

एविएशन और हॉस्पिटैलिटी: पाकिस्तान द्वारा भारत के लिए हवाई क्षेत्र बंद करने से उड़ानों का समय 2-3 घंटे बढ़ गया, जिससे इंटरग्लोब एविएशन (इंडिगो) जैसे एविएशन स्टॉक्स में 4% की गिरावट आई। पर्यटन क्षेत्र, खासकर कश्मीर-केंद्रित हॉस्पिटैलिटी कंपनियों, में बिकवाली देखी गई, क्योंकि पहलगाम जैसे पर्यटन स्थलों पर आतंकी हमले ने पर्यटकों का विश्वास कम किया।

बैंकिंग और फाइनेंशियल: भारतीय बाजार में Axis Bank (4.55% गिरावट) और SBI Card (6.53% गिरावट) जैसे स्टॉक्स प्रभावित हुए। पाकिस्तान में यूनाइटेड बैंक लिमिटेड (UBL) और हबीब मेट्रो बैंक (HMB) जैसे शेयरों में भारी बिकवाली हुई।

कंज्यूमर गुड्स और निर्यात: भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार प्रतिबंधों ने निर्यात-आयात से जुड़ी कंपनियों पर दबाव बढ़ाया। भारत से कपड़ा और कृषि उत्पादों का निर्यात प्रभावित हो सकता है, जिसका असर छोटे और मध्यम उद्यमों पर पड़ेगा।

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

ब्रोकरेज फर्म आनंद राठी की एक रिपोर्ट के अनुसार, कारगिल युद्ध (1999), उरी हमला (2016), और बालाकोट हवाई हमले (2019) जैसे पिछले भारत-पाक तनावों में भारतीय शेयर बाजार में केवल 1-2% की गिरावट देखी गई। 2001 के संसद हमले के दौरान 13.9% की गिरावट वैश्विक मंदी और S&P 500 में 30% की गिरावट से प्रभावित थी। वर्तमान में, विशेषज्ञों का मानना है कि निफ्टी50 में 5-10% से अधिक की गिरावट की संभावना कम है, क्योंकि भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत है।

निवेशकों के लिए रणनीति

लंबी अवधि का दृष्टिकोण: जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के विनोद नायर के अनुसार, भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था लंबी अवधि के निवेशकों के लिए अवसर प्रदान करती है। डिफेंस और फार्मा जैसे सेक्टर्स में निवेश आकर्षक हो सकता है।

मुनाफावसूली से बचें: विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि घबराहट में शेयर बेचने से बचें। बाजार में मामूली सुधार अस्थायी हो सकता है।

डिविडेंड स्टॉक्स: HDFC Bank जैसे डिविडेंड देने वाले स्टॉक्स में निवेश स्थिर आय प्रदान कर सकता है। हाल ही में HDFC Bank ने 22 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड की घोषणा की।

भविष्य की संभावनाएं

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का असर वैश्विक कूटनीति पर भी निर्भर करेगा। यदि अंतरराष्ट्रीय समुदाय तनाव को कम करने में सफल रहा, तो बाजार में स्थिरता आ सकती है। हालांकि, IMF और फिच रेटिंग्स की चेतावनियों के कारण पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति नाजुक बनी रहेगी। भारत में, मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार और घरेलू म्यूचुअल फंड्स के पास 1.86 लाख करोड़ रुपये का कैश बाजार को सहारा दे सकता है।

सुरक्षित निवेश: अस्थिरता के दौर में गोल्ड और डेट फंड्स जैसे सुरक्षित विकल्पों पर विचार करें। स्वर्ण भंडार में 4.57 अरब डॉलर की वृद्धि से भारत में सोने की मांग बढ़ी है।

सुझाव:- भारत-पाकिस्तान तनाव ने दोनों देशों के शेयर बाजारों को प्रभावित किया है, लेकिन भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति इसे बेहतर स्थिति में रखती है। निवेशकों को सतर्क रहते हुए डिफेंस, फार्मा, और डिविडेंड स्टॉक्स जैसे क्षेत्रों पर ध्यान देना चाहिए। बाजार की अस्थिरता को अवसर के रूप में देखते हुए, सोच-समझकर निवेश करना महत्वपूर्ण है। क्या आप इस अस्थिरता में निवेश के अवसर तलाशेंगे, या सुरक्षित विकल्पों को प्राथमिकता देंगे

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